Volume 3 ‘मन मशीन’ । सॉरी, यहाँ चेतना किसी लड़की का नाम नहीं है यह हमारे मन की चेतना है , मस्तिष्क की चेतना या देह की चेतना यानी कि हमारा काँशस । चेतना शब्द से हम सभी का परिचय है, चेतन, चैतन्य, अचेतन, अवचेतन, निश्चेतना इन शब्दों से प्रतिदिन हमारा सामना होता है । आजकल किसी भी सर्जरी से पूर्व निश्चेतना विशेषज्ञ की सलाह ली जाती है । जिन्हें हम सरल भाषा में अनेस्थेसिस्ट के रूप में जानते हैं ।हमें उद्वेलित करने वाली भावनाएँ, हमें आने वाली लज्जा, क्रोध , प्रेम घृणा की भावना यह सब इस चेतना के अंतर्गत ही आता है । हमारे नेत्र, नाक, कान, जिव्हा, स्पर्श आदि ज्ञानेन्द्रियों द्वारा अर्जित अनुभूतियाँ, और अंततः हमारे मस्तिष्क को सदा व्यस्त रखने वाले विचार यह सब चेतना है। फिर यह चेतना लुप्त कैसे होती है जैसे जैसे हमारी उम्र बढ़ती है यह कम क्यों होती जाती है . नींद में हमारी चेतना का क्या होता है? हमारी चेतना से बाहर जो दुनिया है वह क्या है ? अगले बुधवार 27 अप्रेल को रात 8 बजे हम ऐसे ही कुछ सवालों पर बात करेंगे कुछ विशेषज्ञों के साथ । इस बारे में आपके कोई सवाल हो तो पहले ही हमें लिखकर भेज दें ।20 मिनट के इस कार्यक्रम में आप एक स्पीकर की तरह या एक लिसनर की तरह भाग ले सकते हैं इसके लिए आपको अपने मोबाइल पर प्ले स्टोर से MENTZA एप इंस्टाल करना होगा . इसके अलावा भी अनेक विषयों पर ऑडियो प्रोग्राम में आप भाग ले सकते हैंSpeakers: Sharad Kokas, Braj Shrivastava, Pragya Mishra, F G, Chandra Shekhar User.



