Volume 2 सोच कर देखिए क्या आपके मन में यह इच्छा नहीं है कि हमें कभी मृत्यु ही ना आए ? भले ही यह बात सच है कि ना हम अपनी मर्जी से इस दुनिया में आते हैं ना अपनी मर्जी से दुनिया से जाते हैं , लेकिन सच्चाई यही है कि दुनिया के 99% लोग एक बार दुनिया में आने के पश्चात मरना ही नहीं चाहते ।दरअसल हमें यह जीवन और यह शरीर इतना प्रिय लगने लगता है कि हमारी इच्छा ही नहीं होती इसे छोड़ने की। लेकिन सोच कर देखिए यदि भविष्य में हमारी यह इच्छा पूरी हो जाए अर्थात हम मरे ही नहीं तो क्या होगा ? दुनिया की जनसंख्या बढ़ जाएगी? संसाधन कम हो जाएंगे ? चलिए हम सोच कर देखते हैं कि जब दुनिया में कोई मरेगा ही नहीं तो क्या क्या हो सकता है ?सवाल यह भी है कि यदि अमर हो जाने की यह इच्छा स्वाभाविक रूप से फलीभूत ना हो बल्कि यह इच्छा केवल पैसे से पूर्ण हो तो क्या होगा ? जिनके पास पैसा है वह लोग ज्यादा जिंदा रह सकेंगे या जिनके पास पैसा नहीं है वही लोग जिंदा रह सकेंगे ?यह मत सोचिए कि यह कपोल कल्पना है । जिस तरह से तकनीकी क्रांति हो रही है और जीवन के लिए नई नई संभावनाएं खोजी जा रही है जींस की छोरी बदली जा रही है हमारे शरीर की कोशिकाओं पर काम किया जा रहा है मेडिकल साइंस में नए नए अविष्कार हो रहे हैं कई बीमारियों पर विजय पाई जा रही है नई नई वैक्सीन खोजी जा रही हैं तो क्या भविष्य में ऐसी स्थितियां आ सकती हैं ? तो क्यों ना हम आज से ही इस बात पर विमर्श करें । यह तो दुनिया है यहां कुछ भी संभव हो सकता है । अब इसके अलावा बायो लॉजिकल मरने जीने के अलावा भी अमर हो जाना एक मुहावरे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है यानी शरीर से तो हम मर जाएं लेकिन हमारे काम कुछ ऐसे हो या हमने कुछ जीवन में ऐसा कुछ किया हो जिसकी वजह से हमें अमर माना जाए यह भी एक विषय है लेकिन फिलहाल हम इस बारे में नहीं सोच रहे हैं हम तो शरीर के अमर होने पर बात कर रहे हैं । वैसे हमारे स्पीकर्स और हमारे सुनने वाले चाहे तो इन विषयों पर भी सवाल कर सकते हैं और इन पर भी हम बातचीत कर सकते हैं जब अमर हो जाने पर बात करना है तो सभी तरह की बातचीत हो और याद रखिएगा हम जब किसी महापुरुष के बारे में नारा लगाते हैं तो कहते हैं कि फलाने फलाने अमर रहे तो यह अमर रहे हम क्यों कहते हैं किसलिए कहते हैं ? इस बात पर भी विचार करके देखिए ।Speakers: Sharad Kokas, Sajeev sarathie, Rashi Mishra, Sumaiya V, Pragya Mishra.

