आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : सुशील पी
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1960 की मशहूर फ़िल्म ’काला बाज़ार’ का गीत “रिमझिम के तराने लेके आयी बरसात”। मोहम्मद रफ़ी और गीता दत्त की आवाज़ें, गीतकार शैलेन्द्र, और संगीतकार सचिन देव बर्मन। क्यों इस गीत के लिए चुनी गई गीता दत्त की आवाज़ जबकि फ़िल्म में वहीदा रहमान का प्लेबैक कर रही थीं आशा भोसले? क्या थी संगीतकार सचिन देव बर्मन की शर्त? क्यों गीता दत्त ने शुरू शुरू में इस गीत को गाने से मना कर दिया? एक रोमान्टिक डुएट होते हुए भी क्यों इस गीत का इस्तमाल महज़ एक background music की तरह किया गया और वह भी आधा-अधूरा? ये सब, आज के अंक में।
Happy RPI (Radio Playback India) morning to all, let’s begin the day with this beautiful song, and find out the stories behind the making of this song in the recent episode of #EkGeetSauAfaane
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