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पण्डित विनायक राव पटवर्धन |
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आशा भोसले |
“रेडियो
प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ “स्वरगोष्ठी” के मंच पर जारी हमारी
श्रृंखला – “वर्षा ऋतु के राग” की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सभी
संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आपको स्वरों के माध्यम से
बादलों की उमड़-घुमड़, बिजली की कड़क और रिमझिम फुहारों में भींगने के लिए
आमंत्रित करता हूँ। यह श्रृंखला, वर्षा ऋतु के रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत
पर केन्द्रित है। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपसे वर्षा ऋतु में
गाये-बजाए जाने वाले रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं पर चर्चा
करेंगे। इसके साथ ही सम्बन्धित राग के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी
प्रस्तुत करेंगे। भारतीय संगीत के अन्तर्गत मल्हार अंग के सभी राग पावस ऋतु
के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में समर्थ हैं। आम तौर पर इन रागों का
गायन-वादन वर्षा ऋतु में अधिक किया जाता है। इसके साथ ही कुछ ऐसे
सार्वकालिक राग भी हैं जो स्वतंत्र रूप से अथवा मल्हार अंग के मेल से भी
वर्षा ऋतु के अनुकूल परिवेश रचने में सक्षम होते हैं। यहाँ यह स्पष्ट कर
देना आवश्यक है कि केवल मल्हार नाम से कोई राग नहीं है। दरअसल मल्हार एक
अंग का नाम है। जब कोई राग इस अंग से संचालित होता है तब इसे मल्हार अंग का
राग कहलाता है। राग मेघ मल्हार, मियाँ मल्हार, गौड़ मल्हार सूर मल्हार,
रामदासी मल्हार आदि मल्हार अंग के प्रचलित राग हैं। इस श्रृंखला की छठी कड़ी
में आज हम राग जयन्त अथवा जयन्ती मल्हार पर चर्चा करेंगे। इस राग में पहले
हम आशा भोसले की आवाज़ में एक फिल्मी गीत प्रस्तुत करेंगे। यह गीत 1976 में
प्रदर्शित फिल्म ‘शक’ से लिया गया है, जिसके संगीतकार हैं बसन्त देसाई।
दूसरे चरण में राग जयन्त मल्हार की एक प्राचीन किन्तु मोहक बन्दिश का हमने
चयन किया है। अपने समय के बहुआयामी संगीतज्ञ पण्डित विनायक राव पटवर्धन ने
इस रचना को स्वर दिया है।
गाये-बजाए जाने वाले रागों में राग जयन्त मल्हार या जयन्ती मल्हार एक कम
प्रचलित राग है। राग के नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि यह राग जयजयवन्ती
और मल्हार अंग के मेल से बनता है। वैसे राग जयजयवन्ती स्वतंत्र रूप से भी
वर्षा ऋतु के परिवेश को रचने में समर्थ है। परन्तु जब राग जयजयवन्ती के साथ
मल्हार अंग का मेल हो जाता है तब इस राग से अनुभूति और अधिक मुखर हो जाती
है। आज हम राग जयन्त मल्हार पर आधारित एक मोहक फिल्मी गीत प्रस्तुत कर रहे
हैं। यह गीत 1976 में प्रदर्शित फिल्म ‘शक’ से लिया गया है। विकास देसाई और
अरुणा राजे द्वारा निर्देशित इस फिल्म के संगीत निर्देशक बसन्त देसाई थे।
बसन्त देसाई ने मल्हार अंग के रागों पर आधारित सर्वाधिक गीतों की रचना की
थी। इस श्रृंखला में बसन्त देसाई द्वारा संगीतबद्ध किया यह दूसरा गीत है।
‘शक’ जिस दौर की फिल्म है, उस अवधि में बसन्त देसाई का रुझान फिल्म संगीत
से हट कर शिक्षण संस्थाओं में संगीत के प्रचार-प्रसार की ओर अधिक हो गया
था। फिल्म संगीत का मिजाज़ भी बदल गया था। परन्तु बसन्त देसाई ने बदले हुए
दौर में भी अपने संगीत में रागों का आधार नहीं छोड़ा। फिल्म ‘शक’ उनकी
अन्तिम फिल्म साबित हुई। फिल्म के प्रदर्शित होने से पहले ही एक लिफ्ट
दुर्घटना में उनका असामयिक निधन हो गया। राग जयन्ती अथवा जयन्त मल्हार के
स्वरों पर आधारित फिल्म ‘शक’ का जो गीत हम सुनवाने जा रहे हैं, उसके गीतकार
हैं गुलज़ार और इस गीत को स्वर दिया है आशा भोसले ने। आइए सुनते हैं यह
रसपूर्ण गीत।
विष्णु नारायण भातखण्डे के ग्रन्थ में राग जयन्त अथवा जयन्ती मल्हार का
विवरण नहीं मिलता। आपके लिए हमने इस राग का विवरण हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव
की पुस्तक ‘राग परिचय’ के चौथे भाग से लिया है। यह काफी थाट का राग माना
जाता है। इसमें दोनों गान्धार और दोनों निषाद का प्रयोग होता है। इसका वादी
ऋषभ और संवादी स्वर पंचम होता है। राग के आरोह के स्वर हैं- सा, रे प, म प
नि(कोमल) ध नि सां, तथा अवरोह के स्वर हैं- सां ध नि(कोमल) म प, प म ग रे
ग(कोमल) रे सा। इसराज और मयूरवीणा के सुप्रसिद्ध वादक पं. श्रीकुमार मिश्र
के अनुसार राग जयन्त मल्हार के दोनों रागों का कलात्मक और भावात्मक मिश्रण
क्लिष्ट व विशेष प्रक्रिया है। पूर्वांग में जयजयवन्ती का करुण व विनयपूर्ण
भक्तिभाव परिलक्षित होता है, जबकि उत्तरांग में मियाँ की मल्हार, वर्षा के
तरल भावों के साथ समर्पित, पुकारयुक्त व आनन्द से परिपूर्ण भावों का सृजन
करने में सक्षम होता है। इस राग में मध्यलय की रचनाएँ अच्छी लगती हैं। आपको
सुनवाने के लिए हमने राग जयन्त मल्हार की एक प्राचीन किन्तु मोहक बन्दिश
का चयन किया है। अपने समय के बहुआयामी संगीतज्ञ पण्डित विनायक राव पटवर्धन
ने इस रचना को स्वर दिया है। पण्डित पटवर्धन ने न केवल रागदारी संगीत के
क्षेत्र में, बल्कि सवाक फिल्मों के प्रारम्भिक दौर में अपना अनमोल योगदान
किया था। लीजिए, राग जयन्त मल्हार की तीनताल में निबद्ध यह बन्दिश आप भी
सुनिए और हमें आज की इस कड़ी को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
के 432वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको उपशास्त्रीय संगीत शैली के
एक गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक अर्जित
करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर देना
आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों का उत्तर
ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। 440वें अंक की पहेली
का उत्तर प्राप्त होने तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें
वर्ष 2019 के चौथे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष
के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की
जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
पर ही शनिवार, 31 अगस्त, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 434 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
के 430वें अंक की पहेली में हमने आपसे वर्ष 1979 में प्रदर्शित फिल्म
“मीरा” के एक गीत का एक अंश सुनवा कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक
प्राप्त करने के लिए कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा की थी।
पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – मीरा मल्हार अथवा मीराबाई की मल्हार, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – तीनताल और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – वाणी जयराम।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
इसमें भाग ले सकते हैं।
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
श्रृंखला “वर्षा ऋतु के राग” की पाँचवीं कड़ी में आज आपने मल्हार अंग के
राग “जयन्त मल्हार अथवा जयन्ती मल्हार” का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस
राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए सुविख्यात संगीतज्ञ पण्डित विनायक
राव पटवर्धन के स्वरों में प्रस्तुत एक बन्दिश का रसास्वादन किया। इससे
पहले इसी राग पर आधारित फिल्म “शक” से एक गीत पार्श्वगायिका आशा भोसले के
स्वरों में सुनवाया गया। वर्ष 1976 में प्रदर्शित इस फिल्म के संगीतकार
वसन्त देसाई ने इस गीत को राग जयन्त मल्हार अथवा जयन्ती मल्हार के स्वरों
में संगीतबद्ध किया है। “स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली कड़ियों के बारे में
हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि
हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और
अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में
यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली
श्रृंखला के लिए यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
रेडियो प्लेबैक इण्डिया
राग जयन्त मल्हार : SWARGOSHTHI – 432 : RAG JAYANT MALHAR : 25 अगस्त, 2019
2 comments
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