आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं मुंशी प्रेमचंद की एक भावमय कथा नेउर जिसे स्वर दिया है समीर गोस्वामी ने।
एक शताब्दी से हिन्दी (एवं उर्दू) साहित्य जगत में मुंशी प्रेमचंद का नाम एक सूर्य की तरह चमक रहा है। विशेषकर, ज़मीन से जुड़े एक कथाकार के रूप में उनकी अलग ही पहचान है। उनके पात्रों और कथाओं का क्षेत्र काफी विस्तृत है फिर भी उनकी अनेक कथाएँ भारत के ग्रामीण मानस का चित्रण करती हैं। उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। वे उर्दू में नवाब राय और हिन्दी में प्रेमचंद के नाम से लिखते रहे। आम आदमी की बेबसी हो या हृदयहीनों की अय्याशी, बचपन का आनंद हो या बुढ़ापे की जरावस्था, उनकी कहानियों में सभी अवस्थाएँ मिलेंगी और सभी भाव भी। उनकी कहानियों पर फिल्में भी बनी हैं और अनेक रेडियो व टीवी कार्यक्रम भी। उनकी पहली हिन्दी कहानी सरस्वती पत्रिका के दिसंबर 1915 के अंक में “सौत” शीर्षक से प्रकाशित हुई थी और उनकी अंतिम प्रकाशित (1936) कहानी “कफन” थी।
प्रस्तुत कथा का गद्य “हिंदी समय” पर उपलब्ध है। “नेउर” का कुल प्रसारण समय 22 मिनट है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
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मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ … मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं। हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी “तुमसे तम्बाकू पिये बिना कैसे रहा जाता है नेउर काका?” |
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नेउर MP3
#22th Story, Neur: Munshi Premchand/Hindi Audio Book/2017/22. Voice: Sameer Goswami
3 comments
कहानी सुनी। बहुत सुंदर अंदाज में सुनाई गई है। सादर धन्यवाद।
मुंशी प्रेमचन्द की कहानी 'नेउर' अभी-अभी सुनी, मन कितने भावों से भर गया है. समीर गोस्वामी की प्रभावशाली आवाज ने इस कहानी को और असरदार बना दिया है. प्रेमचन्द की लेखन कला तो अद्वितीय है ही. इस अनुपम रचना के प्रस्तुतिकरण पर हार्दिक बधाई.
ऑडियों पर मुंशी प्रेमचंद की कहानी . . वाह!
एक बहुत ही उपयोगी,सार्थक सराहनीय कार्य. . . आभार।