स्वरगोष्ठी – 333 में आज
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उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ |
‘रेडियो
प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी
श्रृंखला – “पावस ऋतु के राग” की आठवीं और समापन कड़ी में मैं कृष्णमोहन
मिश्र अपनी सहयोगी संज्ञा टण्डन के साथ आप सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक
स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम एक नया प्रयोग कर रहे हैं। गीतों का
परिचयात्मक आलेख हम अपने सम्पादक-मण्डल की सदस्य संज्ञा टण्डन की रिकार्ड
किये आवाज़ में प्रस्तुत कर रहे हैं। आपको हमारा यह प्रयोग कैसा लगा, अवश्य
सूचित कीजिएगा। आपको स्वरों के माध्यम से बादलों की उमड़-घुमड़, बिजली की कड़क
और रिमझिम फुहारों में भींगने के लिए आमंत्रित करता हूँ। यह श्रृंखला,
वर्षा ऋतु के रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत पर केन्द्रित है। इस श्रृंखला के
अन्तर्गत हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले रागों और उनमें
निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही सम्बन्धित राग के
आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी प्रस्तुत करेंगे। भारतीय संगीत के अन्तर्गत
मल्हार अंग के सभी राग पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में
समर्थ हैं। आम तौर पर इन रागों का गायन-वादन वर्षा ऋतु में अधिक किया जाता
है। इसके साथ ही कुछ ऐसे सार्वकालिक राग भी हैं जो स्वतंत्र रूप से अथवा
मल्हार अंग के मेल से भी वर्षा ऋतु के अनुकूल परिवेश रचने में सक्षम होते
हैं। इस श्रृंखला की आठवीं और समापन कड़ी में आज हम आपसे कजरी गायन शैली के
विविध स्वरूप पर चर्चा करेंगे। कजरी अथवा कजली मूलतः लोक संगीत की विधा है,
किन्तु इसके कुछ विशेष गुणों के कारण यह उपशास्त्रीय संगीत के मंचों पर भी
यह प्रतिष्ठित हुई। आज के अंक में हम कजरी गीतों के उपशास्त्रीय, लोक और
फिल्मी स्वरूप की चर्चा करेंगे। आज के अंक में सबसे पहले हम आपको उस्ताद
बिस्मिल्लाह खाँ की शहनाई पर बनारसी कजरी गीत की धुन सुनवाएँगे। इसके बाद
हम आपको कजरी के लोक स्वरूप का परिचय देने के लिए आपको एक प्रसिद्ध
मीरजापुरी कजरी गायिका तृप्ति शाक्य के स्वर में तथा कजरी के फिल्मी उपयोग
को प्रदर्शित करने के लिए सात दशक से अधिक पूर्व की भोजपुरी फिल्म
“बिदेशिया” में शामिल एक कजरी गीत प्रस्तुत करेंगे।
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(बाएँ से) तृप्ति शाक्य, कौमुदी मजूमदार और गीता दत्त |
के 333वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको तीसरे और चौथे दशक के
सुविख्यात उस्ताद गायक के स्वर में गायकी का एक अंश सुनवा रहे हैं। संगीत
के इस अंश को सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के
उत्तर देने हैं। यदि आपको तीन में से एक ही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 340वें अंक की पहेली के
सम्पन्न होने के बाद जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस वर्ष
के चौथे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा।
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर,
प्रदेश और देश के नाम के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के 335वें अंक में
प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के
बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना
चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे
दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
की 331वीं कड़ी की पहेली में हमने आपको विदुषी गिरिजा देवी के स्वरों में
बड़े रामदास जी द्वारा रचित कजरी का एक अंश प्रस्तुत कर आपसे तीन में से दो
प्रश्नों का उत्तर पूछा था। पहले प्रश्न का सही उत्तर है, शैली – कजरी, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है, ताल – मध्यलय दादरा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है, स्वर – विदुषी गिरिजा देवी।
आशा है कि हमारे अन्य पाठक / श्रोता भी नियमित रूप से साप्ताहिक स्तम्भ
‘स्वरगोष्ठी’ का अवलोकन करते रहेंगे और पहेली प्रतियोगिता में भाग लेंगे।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई।
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर हमारी
श्रृंखला “पावस ऋतु के राग” की यह समापन कड़ी थी। इस श्रृंखला में हमने आपके
लिए ऋतु प्रधान गीतो को प्रस्तुत किया। आज की कड़ी में हमने आपके लिए कजरी
गीत का वाद्य संगीत के रूप में, पारम्परिक लोक संगीत के स्वरूप का और फिल्म
में प्रयोग की गई कजरी का एक उदाहरण प्रस्तुत किया। आगामी अंक से हम एक नई
श्रृंखला की शुरुआत करेंगे और शास्त्रीय और उपशास्त्रीय संगीत और रागों पर
चर्चा करेंगे और सम्बन्धित रागों तथा संगीत शैली में निबद्ध कुछ रचनाएँ भी
प्रस्तुत करेंगे। हमारी आगामी श्रृंखलाओं के लिए विषय, राग, रचना और
कलाकार के बारे में यदि आपकी कोई फरमाइश हो तो हमें swargoshthi@gmail.com पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 8 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
आलेख व प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
रेडियो प्लेबैक इण्डिया