दोस्तों सुजोय और विश्व दीपक द्वारा संचालित “कहकशां” और “महफिले ग़ज़ल” का ऑडियो स्वरुप लेकर हम हाज़िर हैं, महफिले कहकशां के रूप में. पूजा अनिल और रीतेश खरे के साथ अदब और शायरी की इस महफ़िल में सुनिए वो मशहूर किस्सा, जब कमाल अमरोही एक मुक्कमल शायर को ढूंढते ढूंढते जा पहुंचें निदा फाजली तक, और शुरू हुआ निदा फाजली का फ़िल्मी सफ़र. उम्मीद है हमारी ये प्रस्तुति आपको पसंद आएगी
2 comments
Beautiful content & the superb voice, Congrats !
मुबारक़ें…पूजा जी, विश्व दीपक भाई, सुजॉय जी, सजीव जी और तमाम RPI मेम्बरान 🙂