रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़े दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह स्तम्भ ‘एक गीत सौ कहानियाँ’। इसकी 67-वीं कड़ी में आज श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं आशा भोसले के बेटे और संगीतकार हेमन्त भोसले को जिनका 26 सितंबर को निधन हो गया। गीत है हेमन्त जी द्वारा स्वरबद्ध फ़िल्म ’टक्सी टैक्सी’ का, “लायी कहाँ ऐ ज़िन्दगी” जिसे आशा भोसले और लता मंगेशकर ने गाया था।
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Hemant & Asha |
बेटे हेमन्त के बारे में उनकी माँ आशा भोसले ने विविध भारती के ’जयमाला’ कार्यक्रम में कुछ यूं कहा था – “आपको एक बात बताऊँ, जब मैं 15 साल की थी, तभी हेमन्त मेरे गोद में आ गया था और वह मुझे अपनी बड़ी बहन से ज़्यादा कुछ भी नहीं मानता था। हर बात में ज़िद करता, कभी खाने में ज़िद तो कभी सोने में ज़िद। एक बार मैंने उसे बाथरूम में बन्द कर दिया तो वह पानी भर भर कर दरवाज़े से बाहर फेंकने लगा और पूरा घर पानी से भरने लगा। ऐसा नटखट था मेरा हेमन्त। बाद में संगीतकार बनने के बाद जब मैंने उसका बनाया हुआ फ़िल्म ’श्रद्धांजलि’ का गीत “हाये बड़ा नटखट है बड़ा शैतान” गाने लगी तो वही नटखटपन याद आ गया“। 1977 में जब ’जादू टोना’ फ़िल्म से हेमन्त ने शुरुआत की थी और अपनी बहन वर्षा से इस फ़िल्म में गीत गवाया था, इसके बारे में भी आशा जी कुछ यूं कहा था – “कोई कोई क्षण ज़िन्दगी के ऐसे होते हैं जो भूलाये नहीं जा सकते, बड़े मज़ेदार होते हैं। मेरा लड़का हेमन्त, आप समझते होंगे माँ के लिए बेटा क्या चीज़ होता है, एक दिन वह म्युज़िक डिरेक्टर बन गया और मेरे पास आकर कहने लगा कि यह मेरा गाना है, तुम गाओ। कैसा लगता है ना? जो कल तक इतना सा था, आज वह मुझसे कह रहा है कि मेरा गाना गाओ। फिर उसने अपनी बहन, मेरी बेटी वर्षा से कहने लगा कि तुम्हे भी गाना पड़ेगा। वर्षा बहुत शर्मिली है, उसने कहा कि बड़ी मासी इतना अच्छा गाती हैं, माँ इतना अच्छा गाती है, मैं नहीं गाऊँगी। लेकिन हेमन्त ने बहुत समझाया और उसका पहला गाना रेकॉर्ड हुआ “यह गाँ प्यारा प्यारा”। मैं स्टुडियो पहुँची तो देखा कि लड़की माइक के सामनेखड़ी है और उसका भाई वन टू बोल रहा है। यह क्षण मैं कभी नहीं भूल सकती।“
आज हेमन्त भोसले को श्रद्धांजलि स्वरूप जिस गीत को हम पेश कर रहे हैं वह उपर बताये गए गीतों में से कोई भी नहीं है। बल्कि वह गीत है फ़िल्म ’टैक्सी टैक्सी’ का जिसे हेमन्त की माँ और बड़ी मासी, यानी कि आशा और लता ने साथ-साथ गाया है। गीत के बोल हैं “लायी कहाँ ऐ ज़िन्दगी, है सामने मंज़िल मेरी, फिर भी मंज़िल तक मैं जा न सकूँ, सपनों की दुनिया पा न सकूँ”। आज इस गीत को याद करते हुए ऐसा लग रहा है कि जैसे आशा जी अब ख़ुद अपनी ज़िन्दगी से ही यह बात पूछ रही हैं। संयोग की बात है कि फ़िल्म के परदे पर भी आशा जी ही नज़र आती हैं गीत को गाते हुए। रेकॉर्डिंग् स्टुडियो में आशा जी गा रही हैं, और बीच में ही कोरस रूम में चुपचाप खड़ी फ़िल्म की नायिका ज़हीरा अचानक गा उठती हैं सभी को हैरान करते हुए। ज़हीरा का पार्श्वगायन लता मंगेशकर ने किया है इस गीत में। इस तरह से यह एक बड़ा ही अनोखा गीत है जिसकी तरफ़ लोगों का बहुत कम ही ध्यान गया है आज तक। पर इस गीत को सुनते हुए यह ख़याल ज़रूर आता है कि इतना सुन्दर कम्पोज़िशन के बावजूद हेमन्त भोसले को किसी ने तवज्जु क्यों नहीं दी? ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की तरफ़ से हेमन्त भोसले को भावभीनी श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए आइए उनका रचा यह बड़ा ही मीठा और दर्दीला गीत सुनते हैं आशा जी और लता जी की युगल आवाज़ों में, गीत लिखा है मजरूह साहब ने।
प्रस्तुति सहयोग: कृष्णमोहन मिश्र