कहानी “खान फ़िनॉमिनन” का आलेख बर्ग वार्ता ब्लॉग पर उपलब्ध है। इस प्रस्तुति का कुल प्रसारण समय 5 मिनट 34 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
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तानाशाहों की वैचारिकी उनके हथियारबंद गिरोहों द्वारा ज़बरदस्ती मनवा ली जाती है, विचारकों की तानाशाही को तो उनकी अपनी संतति भी घास नहीं डालती। “बोलती कहानियाँ” में हर सप्ताह सुनें एक नयी कहानी
गरीबों को पैसा तो कोई भी दे सकता है, उन्हें इज्ज़त से जीना खाँ साहब सिखाते हैं। |
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खान फ़िनॉमिनन MP3
#Thirteenth Story, Khan Phenomenon; Anurag Sharma/Hindi Audio Book/2014/13. Voice: Anurag Sharma
2 comments
संस्मरण नुमा कथा समकालीन साहित्य जगत की एक विद्रूप तस्वीर दिखाती है।
धन्यवाद वाणी जी!