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बी.आर.चोपड़ा व यश चोपड़ा |
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बायें से – यश चोपड़ा, महेन्द्र कपूर, साहिर लुधियानवी, एन. दत्ता |
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साहिर व यश चोपड़ा |
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प्रस्तुति सहयोग: कृष्णमोहन मिश्र
4 comments
nice article.
there is one correction though.
N. Dutta is Datta Naik from Goa not narayan datta.
"बी. आर. चोपड़ा द्वारा निर्मित पहली फ़िल्म 'नया दौर' में साहिर साहब ने…" – इस कथन में थोड़ा सुधार करना चाहूंगा, बी.आर. चोपड़ा द्वारा "बी.आर फ़िल्म्स" के बैनर में निर्मित पहली फ़िल्म अशोक कुमार, मीना कुमारी अभिनीत फ़िल्म 'एक ही रास्ता' (1956) थी, जिसके संगीतकार हेमंतकुमार थे…'नया दौर' इस बैनर की दूसरी फ़िल्म थी…वस्तुत: बतौर निर्माता बी.आर. चोपड़ा की पहली फ़िल्म 'श्रीगोपाल पिक्चर्स' की 'करवट' (1948) थी जिसमें वो पार्टनर थे…बतौर निर्देशक उनकी पहली फ़िल्म इसी बैनर की 'अफसाना' (1951) थी…
महेन्द्र कपूर को यश चोपड़ा से रेकॉर्डिस्ट कौशिक ने नहीं बल्कि संगीतकार एन.दत्ता ने मिलवाया था…ये बात इस टिप्पणी के लेखक को एक इंटरव्यू के दौरान ख़ुद महेन्द्र कपूर जी ने बताई थी…उनका इण्टरव्यू इस लिंक पर देखा जा सकता है –
http://beetehuedin.blogspot.in/search/label/singer%20%3A%20Mahendra%20Kapoor
"यश चोपड़ा उन्हें फ़िल्म के संगीतकार नारायन दत्ता, यानी एन. दत्ता के पास ले गये"….संगीतकार नारायण दत्त और एन.दत्ता दो अलग व्यक्ति थे…नारायण दत्त मूलत: राजस्थान के थे जिन्होंने मोरध्वज (1952), श्याम की जोगन (1957), पुजारिन (1969), और नारद लीला (1972) जैसी कुछ फ़िल्मों में संगीत दिया था…वहीं मराठी मूल के एन.दत्ता का पूरा नाम दत्ता नाईक था जो गुमराह के संगीत पर काम करते समय गंभीर रूप से बीमार पड़ गए थे और इसीलिए उनकी जगह रवि आए थे…
ये स्तंभ बडा अनोखा और दिलचस्प है. इस स्तंभ में इस गीत के चुनाव के लिये बधाई! आपकी इतनी अच्छी हिंदी पर दुहरी बधाई!!
साहिर की शायरी बहोत जबरदस्त है. उनके मुद्दे गहरी सोच वाले हैं. लता और माला भी बहोत खूब्!
Shishir ji ko bhool-sudhaar ke liye dhanyavaad!
महेन्द्र कपूर को यश चोपड़ा से रेकॉर्डिस्ट कौशिक ने नहीं बल्कि संगीतकार एन.दत्ता ने मिलवाया था.
—>> yeh maine Mahendra Kapoor ke Ujaale Unki Yaadon Ke kaaryakram se liya tha. lagta hai ki galati se Mahendra Kapoor do interviews mein do alag alag baat keh gaye.