स्वरगोष्ठी – 177 में आज
वर्षा ऋतु के राग और रंग – 3 : राग गौड़ मल्हार
‘…सावन आइलों लाल चुनरिया देहों मंगाय…’


सुहाने, हरियाले और रिमझिम फुहारों से युक्त अंक के साथ मैं कृष्णमोहन
मिश्र उपस्थित हूँ। इस मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’
की दूसरी कड़ी में एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत
और अभिनन्दन है। मित्रों, इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस
और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु
में गाये-बजाए जाने वाले रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं पर
चर्चा करेंगे। इसके साथ ही सम्बन्धित राग के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी
प्रस्तुत कर रहे हैं। भारतीय संगीत के अन्तर्गत मल्हार अंग के सभी राग पावस
ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में समर्थ हैं। आम तौर पर इन रागों
का गायन-वादन वर्षा ऋतु में अधिक किया जाता है। इसके साथ ही कुछ ऐसे
सार्वकालिक राग भी हैं जो स्वतंत्र रूप से अथवा मल्हार अंग के मेल से भी
वर्षा ऋतु के अनुकूल परिवेश रचने में सक्षम होते हैं। इस श्रृंखला की पिछली
दो कड़ियों हमने आपसे राग मेघ मल्हार और मियाँ की मल्हार पर चर्चा की थी।
आज के अंक में हम मल्हार अंग के ही एक और मनमोहक राग गौड़ मल्हार पर चर्चा
करेंगे। आज के अंक में सुविख्यात गायिका विदुषी मालिनी राजुरकर के स्वर में
इस राग की एक मोहक बन्दिश प्रस्तुत करेंगे। इसके साथ ही फिल्म संगीतकार
रोशन का स्वरबद्ध किया इस राग पर आधारित दो गीत भी सुनवाएँगे।
मल्हार अंग के रागों की श्रृंखला में पिछले दो अंकों में आपने मेघ मल्हार और मियाँ मल्हार रागों की स्वर-वर्षा का आनन्द प्राप्त किया। इस श्रृंखला में आज हम आपके लिए लेकर आए है, राग गौड़ मल्हार। पावस ऋतु का यह एक ऐसा राग है जिसके गायन-वादन से सावन मास की प्रकृति का सजीव चित्रण तो किया ही जा सकता है, साथ ही ऐसे परिवेश में उपजने वाली मानवीय संवेदनाओं की सार्थक अभिव्यक्ति भी इस राग के माध्यम से की जा सकती है। आकाश पर कभी मेघ छा जाते हैं तो कभी आकाश मेघरहित हो जाता है। इस राग के स्वर-समूह उल्लास, प्रसन्नता, शान्ति और मिलन की लालसा का भाव जागृत करते हैं। मिलन की आतुरता को उत्प्रेरित करने में यह राग समर्थ होता है। आज के अंक में हम आपको ऐसे ही भावों से युक्त कुछ मोहक रचनाएँ सुनवाएँगे। साथ ही राग गौड़ मल्हार के स्वरूप के बारे में संक्षिप्त जानकारी भी आपसे बाँटेंगे।


राग गौड़ मल्हार : ‘गरजत बरसत भीजत आई लो…’ : विदुषी मालिनी राजुरकर : द्रुत तीनताल


राग – गौड़ मल्हार : ‘गरजत बरसत भीजत आई लो…’ : लता मंगेशकर : फिल्म – मल्हार : संगीत – रोशन
राग – गौड़ मल्हार : ‘गरजत बरसत सावन आयो रे…’ : सुमन कल्याणपुर और कमल बरोट : फिल्म – बरसात की रात : संगीत – रोशन
आज की पहेली
‘स्वरगोष्ठी’ के 177वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको एक द्रुत खयाल रचना का अंश सुनवा रहे हैं। इसे सुन कर आपको निम्नलिखित दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 180वें अंक तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस श्रृंखला का विजेता घोषित किया जाएगा।
1- खयाल के इस अंश को सुन कर गायक की आवाज़ को पहचानिए और हमे उनका नाम बताइए।
2 – यह संगीत रचना किस राग में निबद्ध है?
आप अपने उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर ही शनिवार मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। comments में दिये गए उत्तर मान्य नहीं होंगे। विजेता का नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 179वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए comments के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’ की 175वें अंक की संगीत पहेली में हमने आपको सुप्रसिद्ध गायिका विदुषी किशोरी अमोनकर के स्वर में राग मियाँ की मल्हार के खयाल का एक अंश सुनवा कर आपसे दो प्रश्न पूछे थे। पहले प्रश्न का सही उत्तर है- गायिका किशोरी अमोनकर और पहेली के दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- राग मियाँ मल्हार। इस अंक की पहेली के दोनों प्रश्नो के सही उत्तर जबलपुर से क्षिति तिवारी, हैदराबाद की डी. हरिणा माधवी और पेंसिलवानिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया ने दिया है। तीनों प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।
अपनी बात
मित्रों, ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’
के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर इन दिनों हम ऋतु के अनुकूल
रागों अर्थात वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले रागों पर चर्चा कर रहे
हैं। अगले अंक में एक और वर्षाकालीन राग पर आपसे चर्चा करेंगे। आप भी यदि
भारतीय संगीत के किसी विषय में कोई जानकारी हमारे बीच बाँटना चाहें तो अपना
आलेख अपने संक्षिप्त परिचय के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के ई-मेल पर भेज दें। अपने
पाठको/श्रोताओं की प्रेषित सामग्री प्रकाशित/प्रसारित करने में हमें हर्ष
होगा। आगामी श्रृंखलाओं के लिए आप अपनी पसन्द के कलासाधकों, रागों या
रचनाओं की फरमाइश भी कर सकते हैं। हम आपके सुझावों और फरमाइशों का स्वागत
करेंगे। अगले अंक में रविवार को प्रातः 9 बजे ‘स्वरगोष्ठी’ के इस मंच पर आप
सभी संगीत-प्रेमियों की हमें प्रतीक्षा रहेगी।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र