स्वरगोष्ठी – 174 में आज
व्यक्तित्व – 4 : पण्डित हरिप्रसाद चौरसिया
‘देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए…’


स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला ‘व्यक्तित्व’ की चौथी
कड़ी में, मैं कृष्णमोहन मिश्र, एक बार पुनः आप सभी संगीत-प्रेमियों का
हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों, जारी लघु श्रृंखला ‘व्यक्तित्व’ के
अन्तर्गत हम आपसे संगीत के कुछ असाधारण संगीत-साधकों के व्यक्तित्व और
कृतित्व पर चर्चा कर रहे हैं, जिन्होंने मंच, विभिन्न प्रसारण माध्यमों
अथवा फिल्म संगीत के क्षेत्र में लीक से हट कर उल्लेखनीय योगदान किया है।
हमारी आज की कड़ी के व्यक्तित्व हैं, विश्वविख्यात बाँसुरी वादक पण्डित
हरिप्रसाद चौरसिया, जिन्होने एक साधारण सी दिखने वाली बाँस की बाँसुरी के
मोहक सुरों के बल पर पूरे विश्व में भारतीय संगीत की विजय-पताका को फहराया
है। चौरसिया जी की बाँसुरी ने शास्त्रीय मंचों पर तो संगीत प्रेमियों को
सम्मोहित किया ही है, फिल्म संगीत के प्रति भी उनका लगाव बना रहा। उन्होने
सुप्रसिद्ध सन्तूर वादक पण्डित शिवकुमार शर्मा के साथ मिलकर शिव-हरि नाम से
कई फिल्मों में संगीत निर्देशन भी किया है। आज के अंक में हम आपके लिए
चौरसिया जी द्वारा प्रस्तुत राग हंसध्वनि की एक रचना, बंगाल की एक चर्चित
लोक धुन और शिव-हरि के रूप में रचे बेहद सफल फिल्म ‘सिलसिला’ का एक गीत भी
प्रस्तुत करेंगे। यह भी उल्लेखनीय है कि इसी सप्ताह 1 जुलाई को पण्डित
हरिप्रसाद चौरसिया अपनी आयु के 77 वर्ष पूर्ण कर 78वें वर्ष में प्रवेश कर
रहे हैं। ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ परिवार इस महान संगीत-साधक को जन्मदिवस
के उपलक्ष्य में शत-शत मंगलकामनाएँ अर्पित करता है।


राग हंसध्वनि : मध्यलय सितारखानी और द्रुतलय तीनताल की रचनाएँ : पण्डित हरिप्रसाद चौरसिया
वर्ष 1960 में हरिप्रसाद जी का स्थानान्तरण रेडियो कटक केन्द्र से मुम्बई केन्द्र पर हो गया। मुम्बई आ जाने के बाद उन्हें अपने संगीत को अभिव्यक्ति देने के लिए और अधिक विस्तृत फ़लक मिल गया और यहाँ आ जाने के बाद संगीत के क्षेत्र में उनकी प्रतिभा को एक नई पहचान मिली। अब उन्हें प्रतिष्ठित संगीत सभाओं में मंच-प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया जाने लगा था। यहीं रहते हुए उनका सम्पर्क मैहर घराने के संस्थापक और सन्त-संगीतज्ञ उस्ताद अलाउद्दीन खाँ की सुपुत्री विदुषी अन्नपूर्णा देवी से हुआ। इनका मार्गदर्शन पाकर हरिप्रसाद जी के वादन में भरपूर निखार आया। उन्होने रागों के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों के लोक-संगीत का भी गहन अध्ययन किया था। आज भी विभिन्न संगीत-समारोहों में अपने बाँसुरी-वादन को विराम देने से पहले वे कोई लोकधुन अवश्य प्रस्तुत करते हैं। आइए, अब हम आपको बाँसुरी पर पण्डित हरिप्रसाद चौरसिया द्वारा प्रस्तुत बंगाल की अत्यन्त लोकप्रिय भटियाली धुन सुनवाते हैं। पण्डित हरिप्रसाद चौरसिया द्वारा प्रस्तुत इस भटियाली धुन के साथ तबला संगति पण्डित योगेश समसी ने की है।
भटियाली धुन : पण्डित हरिप्रसाद चौरसिया : तबला संगति – योगेश समसी


फिल्म – सिलसिला : ‘देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए…’ : लता मंगेशकर और किशोर कुमार : गीतकार – जावेद अख्तर
आज की पहेली
‘स्वरगोष्ठी’ के 174वें अंक की पहेली में आज हम आपको कण्ठ संगीत में एक रागबद्ध खयाल रचना का अंश सुनवा रहे हैं। इसे सुन कर आपको दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। 180वें अंक की पहेली के सम्पन्न होने तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस श्रृंखला (सेगमेंट) का विजेता घोषित किया जाएगा।
1 – खयाल का यह अंश सुन कर राग पहचाइए और हमे राग का नाम बताइए।
2 – गीत का यह अंश सुन कर गायक कलाकार को पहचानिए और हमे उनका नाम बताइए।
आप अपने उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर ही शनिवार मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। comments में दिये गए उत्तर मान्य नहीं होंगे। विजेता का नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 176वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए comments के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’ की 172वीं कड़ी की पहेली में हमने आपको 1959 में प्रदर्शित फिल्म ‘चाचा ज़िन्दाबाद’ के एक गीत का एक अंश सुनवा कर आपसे दो प्रश्न पूछे थे। पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग ललित और पहेली के दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- गायक मन्ना डे और लता मंगेशकर। इस अंक के दोनों प्रश्नों के सही उत्तर पेंसिलवानिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया, चण्डीगढ़ के हरकीरत सिंह, जबलपुर से क्षिति तिवारी और हैदराबाद की डी. हरिणा माधवी ने दिया है। चारो प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।
अपनी बात
मित्रों, ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के
साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी श्रृंखला ‘व्यक्तित्व’ के अन्तर्गत
आज के अंक में हमने आपसे सुप्रसिद्ध बाँसुरी वादक पण्डित हरिप्रसाद चौरसिया
के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा की। इसके साथ ही हमने शास्त्रीय, लोक
और फिल्म संगीत के क्षेत्र में किए गए कार्यों को रेखांकित किया। अगले अंक
से हम कुछ ऋतु प्रधान रागों का की चर्चा करेंगे। यह अंक आपको कैसा लगा,
हमें अवश्य बताइए। आप भी अपनी पसन्द के विषय और गीत-संगीत की फरमाइश हमें
भेज सकते हैं। हमारी अगली श्रृंखलाओं के लिए आप किसी नए विषय का सुझाव भी
दे सकते हैं। अगले रविवार को प्रातः 9 बजे ‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर सभी
संगीतानुरागियों की प्रतीक्षा करेंगे।
साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी श्रृंखला ‘व्यक्तित्व’ के अन्तर्गत
आज के अंक में हमने आपसे सुप्रसिद्ध बाँसुरी वादक पण्डित हरिप्रसाद चौरसिया
के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा की। इसके साथ ही हमने शास्त्रीय, लोक
और फिल्म संगीत के क्षेत्र में किए गए कार्यों को रेखांकित किया। अगले अंक
से हम कुछ ऋतु प्रधान रागों का की चर्चा करेंगे। यह अंक आपको कैसा लगा,
हमें अवश्य बताइए। आप भी अपनी पसन्द के विषय और गीत-संगीत की फरमाइश हमें
भेज सकते हैं। हमारी अगली श्रृंखलाओं के लिए आप किसी नए विषय का सुझाव भी
दे सकते हैं। अगले रविवार को प्रातः 9 बजे ‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर सभी
संगीतानुरागियों की प्रतीक्षा करेंगे।
एक आवश्यक सूचना
अपने
संगीत-प्रेमी पाठकों और श्रोताओ को कुछ नयेपन का अनुभव कराने के लिए
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के कुछ कार्यक्रमों को हम yourlisten के सहयोग से
आडियो रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। हमारा यह प्रयोग आपको कैसा लगा? अपनी
प्रतिक्रिया और सुझाव हमें swargoshthi@gmail.com , radioplaybackindia@live.com अथवा cine.paheli@yahoo.com पर अवश्य लिखें। आपके सुझाव के आधार पर हम अपने कार्यक्रमों को और अधिक बेहतर रूप दे सकेंगे।
संगीत-प्रेमी पाठकों और श्रोताओ को कुछ नयेपन का अनुभव कराने के लिए
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के कुछ कार्यक्रमों को हम yourlisten के सहयोग से
आडियो रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। हमारा यह प्रयोग आपको कैसा लगा? अपनी
प्रतिक्रिया और सुझाव हमें swargoshthi@gmail.com , radioplaybackindia@live.com अथवा cine.paheli@yahoo.com पर अवश्य लिखें। आपके सुझाव के आधार पर हम अपने कार्यक्रमों को और अधिक बेहतर रूप दे सकेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र