‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी
हमारी श्रृंखला ‘व्यक्तित्व’ की तीसरी कड़ी में, मैं कृष्णमोहन मिश्र, एक
बार पुनः आप सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों,
जारी लघु श्रृंखला ‘व्यक्तित्व’ के अन्तर्गत हम आपसे संगीत के कुछ असाधारण
संगीत-साधकों के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा कर रहे हैं, जिन्होंने
मंच, विभिन्न प्रसारण माध्यमों अथवा फिल्म संगीत के क्षेत्र में लीक से हट
कर उल्लेखनीय योगदान किया है। हमारी आज की कड़ी के व्यक्तित्व हैं, फिल्म
संगीत-प्रेमियों के बीच “गजल-सम्राट” की उपाधि से विभूषित यशस्वी संगीतकार,
मदनमोहन। उनके संगीतबद्ध गीत अत्यन्त परिष्कृत हुआ करते थे। आभिजात्य वर्ग
के बीच उनके गीत बड़े शौक से सुने और सराहे जाते थे। वे गज़लों को संगीतबद्ध
करने में सिद्ध थे। गज़लों के साथ ही अपने गीतों में रागों का प्रयोग भी
निपुणता के साथ करते थे। विभिन्न रागों पर आधारित उनके अनेक गीत आज भी
सदाबहार बने हुए हैं। उनके अधिकतर राग आधारित गीतों को लता मंगेशकर और
मन्ना डे स्वर प्रदान किए हैं। आज के अंक में हम मदनमोहन के शास्त्रीय राग
आधारित रचनाओं के सन्दर्भ में उनकी विलक्षण प्रतिभा को रेखांकित करेंगे। यह
भी सुखद संयोग है कि आज से तीसरे दिन अर्थात 25 जून को मदनमोहन का 91वाँ
जन्मदिवस है। इस अवसर पर ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ परिवार इस महान
संगीत-साधक की स्मृतियों को उन्हीं के स्वरबद्ध गीतों के माध्यम से
स्वरांजलि अर्पित करता है।






साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर ‘व्यक्तित्व’ शीर्षक से जारी
श्रृंखला के आज के अंक में हमने यशस्वी फिल्म संगीतकार मदनमोहन के
व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा की है। इसके साथ ही उनके राग आधारित कुछ
गीतों की रंजकता का अनुभव भी किया। आप भी यदि ऐसे किसी संगीतकार की जानकारी
हमारे बीच बाँटना चाहें तो अपना आलेख अपने संक्षिप्त परिचय के साथ
‘स्वरगोष्ठी’ के ई-मेल पते पर भेज दें। अपने पाठको/श्रोताओं की प्रेषित
सामग्री प्रकाशित/प्रसारित करने में हमें हर्ष होगा। आगामी श्रृंखलाओं के
लिए आप अपनी पसन्द के कलासाधकों, रागों या रचनाओं की फरमाइश भी कर सकते
हैं। हम आपके सुझावों और फरमाइशों का स्वागत करेंगे। अगले अंक में रविवार
को प्रातः 9 बजे ‘स्वरगोष्ठी’ के इस मंच पर आप सभी संगीत-प्रेमियों की हमें
प्रतीक्षा रहेगी।
2 comments
raago ka gyaan mujhe nhi. magar achchhe gaano ko pahchanti hun psnd krti hun.
madan mohan ji ke gaano ka jwaab nhi. kamaal ke sangeet rcheyta the ve.
ghazalon ka baadshaah yunhi nhi kahaa jata unhe. lekh aur sath me sanlagn gaane bahut hi achchhe lge. ek baar me hi poora lekh pdh gai.
नीस