स्मृतियों के स्वर – 01
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! दोस्तों, एक ज़माना था जब घर बैठे प्राप्त होने वाले मनोरंजन का एकमात्र साधन रेडियो हुआ करता था। गीत-संगीत सुनने के साथ-साथ बहुत से कार्यक्रम ऐसे हुआ करते थे जिनमें कलाकारों से साक्षात्कार करवाये जाते थे और जिनके ज़रिये फ़िल्म और संगीत जगत के इन हस्तियों की ज़िन्दगी से जुड़ी बहुत सी बातें जानने को मिलती थी। गुज़रे ज़माने के इन अमर फ़नकारों की आवाज़ें आज केवल आकाशवाणी और दूरदर्शन के संग्रहालय में ही सुरक्षित हैं। मैं ख़ुशक़िस्मत हूँ कि शौकीया तौर पर मैंने पिछले बीस वर्षों में बहुत से ऐसे कार्यक्रमों को लिपिबद्ध कर अपने पास एक ख़ज़ाने के रूप में समेट रखा है। आज से ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ पर, महीने के हर दूसरे और चौथे शनिवार को इसी ख़ज़ाने में से मैं निकाल लायूंगा कुछ अनमोल मोतियाँ और आपके साथ बाँटूंगा हमारे इस नये स्तंभ में, जिसका शीर्षक है – स्मृतियों के स्वर। हम और आप साथ मिल कर गुज़रेंगे स्मृतियों के इन हसीन गलियारों से। तो आइये आज इसकी पहली कड़ी में मिलें गुज़रे ज़माने की सुप्रसिद्ध भजन गायिका जुथिका रॉय से और जानें कि बरसों बरस पहले जब पहली बार उन्होंने रेडियो पर अपना पहला गीत गाया था, वह अनुभव कैसा था।
जुथिका जी, आपका इस कार्यक्रम में बहुत-बहुत स्वागत है, नमस्कार!
नहीं, पेटी (हारमोनियम) भी नहीं। गाया मैंने, ब्रॉडकास्ट हुआ, सभी ने सुना। लेकिन मैं नहीं सुन पायी, मेरी बहुत इच्छा हुई कि कैसे मैं यह सुनूंगी, किस के पास से मैं जान सकूंगी कि मेरा गाना कैसा हुआ, सबको कैसा लगा, यही चिन्ता लेकर मैं घर वापस आयी। वापस आने के बाद मैंने देखा कि सारे खड़े हैं, किसी के चेहरे पर आनन्द नहीं है, सभी निराश बन कर खड़े हैं। तो मैंने पूछा कि मेरा गाना कैसा लगा? पहले को पूछा, उन्होंने आहिस्ते आहिस्ते बोला कि “दीदी, मैंने तो सिर्फ़ दो लाइन ही सुना है”। तो फिर मैंने दूसरे को पूछा कि आपको कैसा लगा? तो बोले कि “दीदी, मैं कान में देने के बाद…”, उस वक़्त रेडियो में हेडफ़ोन होता था, कोई साउण्ड बॉक्स नहीं होता था, इसलिए कान में लगाकर सुनना पड़ता था, तो बोले, “देखिये दीदी, एक लाइन सुनने के पहले ही किसी ने मेरे कान से ले लिया, मैं बराबर सुन नहीं पाया कि कैसा हुआ”। तो तीसरे को मैंने पूछा कि कैसा लगा, तो बोली कि “देखिये बहुत देर तक मैं अपेक्षा करते करते जब कान में ले लिया तो पीछे से कौन छो मार कर ऐसे ले लिया”।